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कभी झुग्गियों में रहते थे लोग, एक हाउसिंग स्कीम ने ऐसे बदल दिया सिंगापुर

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कभी झुग्गियों में रहते थे लोग, एक हाउसिंग स्कीम ने ऐसे बदल दिया सिंगापुर


दिल्ली से भी आधे इलाके में बसे सिंगापुर इंडस्ट्री, टूरिज्म, एयरपोर्ट, स्कूल और ग्लोबल लेवल के ऑफिस बने हुए हैं. मात्र 734 स्क्वायर किलोमीटर में फैले और 56 लाख की जनसंख्या वाला सिंगापुर में 90 फीसदी के ज्यादा लोगों के पास खुद का घर है. कभी इस देश पर भी भारत की तरह अंग्रेजों का राज था, लेकिन फिर भी इस देश ने इतनी तेजी से तरक्की की, जिससे अच्छे-अच्छे देश काफी पीछे रह गए.

1940 में आधी दुनिया दूसरे विश्व युद्ध में फंसी हुई थी और अंग्रेजों का इस देश पर कब्जा था. समुद्र के किनारे होने के कारण यह देश अंग्रेजों के लिए काफी अहमियत रखता था, क्योंकि यहां के पोर्ट से वह कई देशों पर कब्जा बनाए रखता था, लेकिन 1942 में जापान ने यहां से ब्रिटिशर्स को भगाकर सिंगापुर को अपने कब्जे में ले लिया. जापान ने सिंगापुर के लोगों पर काफी जुल्म ढहाए और यहां की इमारतों को खंडहर में तब्दील कर दिया.

जापान को करना पड़ा सरेंडर
अमेरिका ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए, जिसके बादजापान ने सरेंडर कर दिया और सिंगापुर का कंट्रोल फिर से अंग्रेजों के पास आ गया था, लेकिन विश्व युद्ध के कारण ब्रिटेन की हालत खस्ताहाल हो चुकी थी तो उन्होंने 9 अगस्त 1959 को आजाद कर दिया. अब सिंगापुर स्वतंत्र था, लेकिन यहां पर उसके सामने कई चुनौतियां खड़ी थीं, जिसमें सबसे बड़ी थी वहां की बढ़ती जनसंख्या और लोगों के पास रहने की कमी. लोग छोटे-छोटे इलाकों में बिना किसी मूलभूत सुविधा के रहने को मजबूर थे और यहीं से शुरू हुई सिंगापुर के डेवलपमेंट की कहानी.