परमात्मा के चरणों में सच्चे हृदय से प्रणाम करें: स्वामी विजयानंद गिरि महाराज

सिरसा। भगवान श्रीकृष्ण को एक बार प्रणाम करने से 10 अश्वमेध यज्ञ करने के समान फल प्राप्त होता है। 10 अश्वमेध यज्ञ करने वाला का दोबारा पुनर्जन्म होता है, लेकिन एक बार भगवान श्रीकृष्ण को हृदय से प्रणाम किया जाए तो उसका पुनर्जन्म ही नहीं होता।
इसलिए ठाकुर जी के चरणों में जब भी जाओ सच्चे हृदय से प्रणाम करो। उक्त बातें श्री गीता प्रचार समिति सिरसा के तत्वावधान में पंजाब पैलेस सिरसा के हाल में आयोजित साप्ताहिक दुर्लभ सत्संग के 6वें दिवस की कथा में स्वामी विजयानन्द गिरि महाराज ने अपने मुखारविंद से साधकों से कही।
महाराज जी ने कहा कि परमपिता परमात्मा को जब भी प्रणाम करो तो सच्चे हृदय से प्रणाम करो। जहां से भगवान के आसानी से दर्शन हो जाए, वहीं से कर लो आगे जाने का प्रयास मत करो।
उन्होंने बताया कि जिस समय आप 500 रुपए देकर आगे जाओगे तो आपके अंदर अभिमान आएगा। इसलिए भगवान के श्री विग्रह के जहां से दर्शन हो जाए, वहां से कर लो। उनकी दृष्टि हमारे उपर पड़ जाए। भगवान की दृष्टि हमारे उपर पड़ जाए, इसकी भी एक महिमा है। स्वामी जी ने बताया कि कलयुग में दो अवतार मुख्य माने गए हंै राम और कृष्ण।
अगर इस संसार बंधन से छूटना है तो एक ही उपाय है और वो है अनन्य भक्ति। भक्ति से हम तीनों गुणों से मुक्त हो जाएंगे। अनन्य भक्ति का स्वरूप क्या है। अपने इष्ट से भिन्न सभी आश्रयों का त्याग अनन्यता है। आश्रय अपने ईष्ट का होना चाहिए। परमात्मा पर भरोसा होना चाहिए। उन्होंने बताया कि ऐसे तो करोड़ों देवी-देवता हंै, लेकिन सनातन धर्म में पांच ही ईश्वर हंै।
भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश, भगवान विष्णु व सूर्य देवता। ईष्ट एक ही होना चाहिए। तिथि के अनुसार सबका पूजन कर लो, आरती कर लो, लेकिन ईष्ट एक होना चाहिए। इस अवसर पर मदन मोहन जोशी ऐलनाबाद से, राम अवतार बड़वा से, अनिल सरपंच, परमवीर सरपंच फतेहाबाद से, श्री गीता प्रचार समिति के अध्यक्ष वेद भारती, गुरदयाल मेहता संस्थापक अमरनाथ सेवा समिति, अशोक गुप्ता, अशोक तनेजा, राजेंद्र शर्मा, विनय शर्मा उदेश गुप्ता, नरेश ग्रोवर, सोहनलाल अरोड़ा, अमर लूथरा, धर्मपाल बब्बर, राजेन्द्र शर्मा, सतीश शर्मा, सुनील बत्रा, हरिओम भारद्वाज, सोनू शर्मा, अविनाश शर्मा, मनोज मोजी, पंकज शर्मा, अंकुश गोयल, रिकी सोढ़ी, भारत भूषण सहित अन्य श्रद्धालु उपस्थित थे। कथा के दौरान छोटे बच्चे कृषा ने गीता जी के नित्य पढऩे वाले पांच श्लोक, सार्थ ने प्रार्थना, नित्या ने पंचामृत व अंजली ने 9वें अध्याय के 26वें और 27वें श्लोक सादक संजीवनी की प्रस्तुत दी, जिसपर लखनऊ से आए लक्ष्मीकांत तिवारी द्वारा चारों बच्चों को पुरुस्कार देकर समानित किया गया।