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पीपीपी बना आफत, पेंशन के इंतजार में लाखों: कुमारी सैलजा

भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के दावे फेल, अपने आप नहीं बनती पेंशन

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Newz World Hindi's, Sirsa

चंडीगढ़। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार का पीपीपी, प्रदेश के लोगों के लिए परिवार परेशान पत्र बन चुका है। पिछले 16 महीने के अंदर प्रदेश में एक भी नई सामाजिक सुरक्षा पेंशन नहीं बनी है। जबकि, दो लाख से अधिक लोग इसके हकदार बन चुके हैं। इससे गठबंधन सरकार का एक और झूठ पकड़ में आ गया है, कि उम्र और पात्रता पूरी होते ही लोगों की पेंशन पीपीपी की वजह से तुरंत अपने आप बन जाती है।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि गठबंधन सरकार के नुमाइंदे चिल्ला-चिल्ला कर दावा कर रहे थे कि अब ऑटोमेटिक सिस्टम शुरू हो चुका है और बुजुर्गों व दिव्यांगजनों की पेंशन बिना कहीं चक्कर काटे ही बन रही है। लेकिन, धरातल पर पूरे प्रदेश में ऐसा कहीं पर भी नहीं है लग रहा है। मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि तमाम पात्रता होने के बावजूद दो लाख से अधिक बुजुर्ग, दिव्यांगजन व अन्य अक्सर समाज कल्याण विभाग और सीएससी के चक्कर काट रहे हैं, पर वहां से कोई जवाब नहीं मिल रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दिव्यांगजनों के लिए एक अलग से पोर्टल बनाने का दावा भी गठबंधन सरकार ने किया था। इसे प्रोएक्टिव सिस्टम कहते हुए दावा किया था कि उन्हें अब किसी भी सूरत में परेशान नहीं होना पड़ेगा। जबकि, सच तो यह है कि यह पोर्टल काम ही नहीं कर रहा है।

कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रोएक्टिव सिस्टम के पोर्टल में तकनीकी खामियां हैँ और दिव्यांगजनों के परिवार की आमदनी बहुत अधिक दिखा दी गई है, जिससे उनका राशन कार्ड भी कट गया है। इससे उन्हें हर महीने डिपो के जरिए मिलने वाला राशन भी बंद हो गया है। पेंशन के लिए नए पात्र बने दिव्यांगजन सरल केंद्र से अपनी पेंशन बनवाने के आवेदन भी नहीं कर पा रहे हैं। उनके आवेदन के बाद एरर आने लगता है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वृद्धावस्था सम्मान भत्ता पाने के हकदार हो चुके बुजुर्ग उनकी पेंशन न बनने के कारण सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। वे मेडिकल प्रमाण पत्र समेत अन्य जरूरी दस्तावेज तैयार करके बैठे हुए हैं, लेकिन अब तक उनका सत्यापन नहीं हुआ है। कुमारी सैलजा ने कहा कि दरअसल सच्चाई तो यह है कि सरकार के पास पेंशन देने के लिए धन का अभाव है, इसलिए ही नई पेंशन बनाने पर रोक लगाने के आदेश करने की बजाए पोर्टल को जानबूझकर खराब किया गया है। इसका मकसद लोगों के चक्कर कटवाना है और उन्हें पात्र होने के बावजूद हर महीने मिलने वाली पेंशन से वंचित रखना है।