इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए फास्ट चार्जिंग बन सकती है खतरा! जानें क्या कहता है नियम

ग्राहकों के बीच Electric गाड़ियों की डिमांड तेजी से बढ़ती जा रही है, कार निर्माता कंपनियां भी EV के लिए नई-नई टेक्नोलॉजी पर काम कर रही हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनियाभर से ज्यादातर इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने वाली कंपनियां केवल 10 से 80 प्रतिशत फास्ट चार्ज टाइम का ही जिक्र क्यों करती हैं? बता दें कि ये पैरामीटर उद्योग के मानक के अनुसार है जिससे हम में ज्यादातर लोग अब तक अनजान हैं.
National Electric Code यानी NEC ने बैटरी के लिए फास्ट चार्जिंग के लिए 80 प्रतिशत का नियम सेट किया हुआ है. आइए जानते हैं कि क्या कहता है नियम?
क्या कहता है नियम, जान लीजिए
EV चार्जिंग के लिए NEC के 80 प्रतिशत नियम के मुताबिक, इलेक्ट्रिकल सर्किट को अधिकतम रेटेड क्षमता के 80 प्रतिशत से अधिक पर लगातार लोड नहीं दिया जाना चाहिए.
ऐसा करने के पीछे का कारण यह है कि इससे सर्किट कॉम्पोनेंट्स के टूटने या फिर कटने या फिर आग लगने का खतरा कम हो जाता है. अगर इस नियम का उल्लंघन किया जाता है तो ऐसे में तारों पर जोर पड़ने और ज्यादा गर्म होने की वजह से आग लगने का खतरा बढ़ सकता है.
हाई वोल्टेज सहन नहीं कर सकती लिथियम बैटरी
ज्यादातर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में इलेक्ट्रिक्ल एनर्जी स्टोर करने के लिए लिथियम ऑयन बैटरी दी जाती है. ऐसा कहा जाता है कि लंबे समय तक लिथियम ऑयन बैटरी हाई वोल्टेज को सहन नहीं कर पाती है. एक्सेसिव बैटरी डीग्रेडेशन को कम करने के लिए BMS यानी बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम ने बैटरी को इस तरह से डिजाइन किया है कि बैटरी 10 प्रतिशत से नीचे और 80 प्रतिशत से ऊपर होने पर फास्ट चार्जिंग सपोर्ट नहीं करती है.
स्लो चार्जिंग क्यों है बेस्ट?
विशेषज्ञों का ऐसा कहना है कि बैटरी हेल्थ को अच्छा बनाए रखने के लिए फास्ट चार्जर का इस्तेमाल केवल कभी-कभी किया जाना चाहिए. विशेषज्ञों का सुझाव है कि फास्ट चार्ज के बजाय स्लो चार्जिंग की तरफ रुख करना बैटरी की हेल्थ के लिए अच्छा कदम साबित हो सकता है.