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मुफ्त की रेवड़ियां ही जीत की गारंटी नहीं! 72 हजार की मिनिमम इनकम गारंटी भी नहीं लगा पाई थी कांग्रेस की नैय्या पार

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मुफ्त की रेवड़ियां ही जीत की गारंटी नहीं! 72 हजार की मिनिमम इनकम गारंटी भी नहीं लगा पाई थी कांग्रेस की नैय्या पार


मुफ्त की रेबड़ियां कहो या फ्रीबीज का अंग्रेजी चोला उढ़ाओ, अगर मकसद गरीबी हटाना है तो कौन इससे किनारा करना चाहेगा? राजनीतिक दल तो हरगिज नहीं. ऊपर से अगर ये मुद्दा चुनाव जितवा दे तो फिर आइडिया ही आइडियोलॉजी बन जाता है. कांग्रेस के साथ भी ऐसा ही कुछ होता दिखाई दे रहा है. देश की सबसे पुरानी पार्टी फिलहाल मध्य प्रदेश और राजस्थान चुनावों को लेकर मुस्तैद दिखाई दे रही है. इस बाबत ‘ये फ्री वो फ्री’ के जुबानी बाण भी राजनेताओं के तरकश से लगातार एक-एक कर निकाले जा रहे हैं.


फ्री… फ्री…फ्री… के इस इश्तिहार पर कांग्रेस पार्टी कर्नाटक में मिली चुनावी जीत का ट्राइड एंड टेस्टेड वाला ठप्पा भी चिपका रही है. कर्नाटक का किला फतह करने के बाद अब देश के दिल को भी कांग्रेस पार्टी इसी कन्सेप्ट से जीतने के मूड में है. हो भी क्यों न. मध्य प्रदेश में तो पिछले चुनावों में कांग्रेस पार्टी को जितवाने और सत्ता का स्वाद चखाने में किसानों को कर्जा फ्री करने का ऐलान काफी चर्चा में रहा था. इसी वादे को पूरा न कर पाने का बहाना बना ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से दूरी बनाई और चंद महीनों में कमलनाथ का किला ढहा दिया.