काश दादा-दादी ने खरीदा होता सोना, इतने बढ़े रेट…चैन से कटती जिंदगी, नहीं होता पैसे का रोना
I wish grandparents had bought gold, the rate has increased so much… Life is spent peacefully, there is no crying of money

काश… जब भी कोई इंसान इस शब्द से अपनी बात शुरू करता है, तो कहीं ना कहीं ये उसके मन की वो टीस होती है, जिसे वो हकीकत में बदलना चाहता है. अब आज सोने पर मिल रहे रिटर्न को ही ले लीजिए, आपके भी मन में ये ख्याल कभी ना कभी आया होगा कि काश 50 साल पहले आपके दादा-दादी या नाना-नानी ने कुछ सोना खरीदा होता. आज अगर वो सोना आपके पास होता तो सोचिए कितना रिटर्न मिलता. चलिए हम बताते हैं.
सोने का भाव हाल-फिलहाल में काफी तेज हुआ है. बीते हफ्ते तो ये 60,000 रुपये के भी पार चला गया. पर क्या आप जानते हैं कि 1970 से अब तक यानी लगभग 50 साल में सोने ने 300 प्रतिशत से ज्यादा का रिटर्न दिया है. आखिर कितना था 50 साल पहले सोने का रेट…
50 साल पहले सोने का रेट
सोने का रेट 1970 में करीब 185 रुपये प्रति 10 ग्राम पर था. जबकि मजह 5 साल पहले जब भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ था, तब 1965 में सोने का भाव करीब 72 रुपये पर था. यानी कुछ ही साल में जब भारत का इतिहास नई करवट ले रहा था, सोने में निवेश किया पैसा साल दर साल 20 प्रतिशत की दर से बढ रहा था.
इसके बाद साल आया 1975, जब एक तरफ देश में आपातकाल यानी इमरजेंसी लगी, तो दूसरी तरफ सोना अपनी अंगड़ाई लेता रहा और इसका भाव 1970 के 185 रुपये के मुकाबले करीब 785 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया. इसका मतलब कि अब सोने ने सालाना आधार पर 30 प्रतिशत से ज्यादा रिटर्न देना शुरू कर दिया.
1980 में आया Gold Rush
साल 1975 से 1980 के बीच देश राजनीति ने कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन सोने में किया गया निवेश सिर्फ चढ़ता ही गया. इस पर मिलने वाला साल दर साल रिटर्न 35 प्रतिशत से ज्यादा हो गया. आपको भी हैरानी होगी कि महज 5 साल में सोने का भाव 785 रुपये से बढ़कर सीधा 3,677 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया.
अगले 5 साल में सोने के भाव में ज्यादा तेजी भले ना देखी गई हो, लेकिन इसका भाव बढ़ता जरूर गया. 1985 में इसका भाव करीब-करीब 5,150 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया. यानी इन 5 सालों में इसका भाव साल दर साल करीब 7 प्रतिशत की दर से बढ़ा.
जब देश का सोना गया गिरवी
भारत की अर्थव्यवस्था के लिए 1990 का दौर सबसे बुरा रहा. हालत ऐसी कि सरकारी खजाना लगभग खाली हो गया. उस दौर में घरों में रखा सोना भी लोगों को पीतल लगने लगा. इसका भाव गिरकर 3200 रुपये पर आ गया. ये 1985 के 5,150 रुपये के मुकाबले करीब 9 प्रतिशत की गिरावट आने जैसा था.
उछल-कूद करता रहा सोना
1990 का दौर बीतने के बाद करीब 5 साल में सोने ने फिर रफ्तार पकड़ ली. 1995 में सोना भाव सुधरकर करीब 4,650 रुपये पर पहुंच गया. हालांकि ये तेजी ज्यादा वक्त बरकरार नहीं रही. अगले 5 साल में सोना टूटा और साल 2000 में ये करीब 4,400 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया.
सोना फिर कभी ना हुआ सुस्त
इस वक्त के बाद भारत में सोने ने कभी सुस्ती नहीं दिखाई. अगले 5 साल में इसके भाव में फिर तेजी आनी शुरू हुई. ये 2005 में करीब 8,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव पर पहुंच गया. 2010 तक इसमें साल दर साल 18 प्रतिशत से अधिक ग्रोथ देखी गई और ये छलांग लगाकर 18,500 रुपये के भाव पर पहुंच गया.
कुलांछे मारने लगा सोने का रेट
सोने का भाव 2015 में 26,000 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंचा. 2020 तक पहुंचते-पहुंचते इसका भाव लगभग डबल हो गया और इसने 50,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के आंकड़े को पार कर लिया. अब 2023 में सोने का भाव 60,000 के स्तर तक को छू चुका है.