Karnataka Elections 2023: ‘सिलिकॉन वैली’ से कम नहीं है कर्नाटक, देश की इकोनॉमी को ऐसे करता है बूस्ट

कर्नाटक में चुनावी महौल बन चुका है. 10 मई को मतदान और 13 मई को नतीजे आ जाएंगे. बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस तीनों प्रदेश में सत्ता हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं. कर्नाटक को लेकर आज सवाल राजनीति से हटकर है और आखिर वो कौन सी वजह है जो कर्नाटक सभी का फेवरेट बना हुआ है? इसका जवाब कोई और नहीं बल्कि यहां की इकोनॉमी है. कर्नाटक में इंडस्ट्री की कमी नहीं है. कर्नाटक की राजधानी बेंगलूरू को सिलिकॉन वैली से कम नहीं समझा जाता है. हाल ही में जीएसटी के जो आंकड़ें आए थे, उसने सभी चौंका दिया था.
महाराष्ट्र के बाद कर्नाटक जीएसटी से सबसे ज्यादा कमाई करने वाला प्रदेश था. यहां की पर कैपिटा इनकम देश की औसत पर कैपिटा से ज्यादा है. इसके अलावा यहां पर किेसी दूसरे प्रदेश के मुकाबले ज्यादा जॉब्स हैं. जिसकी वजह से देश के नौजवानों के लिए कर्नाटक काफी फेवरेट स्पॉट बना हुआ है. कर्नाटक चुनाव से पहले आज प्रदेश के उन आर्थिक पन्नों को पलटने की जरूरत है और यह जान लेने की जरूरत भी है कि आखिर पॉलिटिकल पार्टियों के साथ देश के लिए कर्नाटक क्यों जरूरी प्रदेश बना हुआ है.
प्रदेश में 8.5 लाख से ज्यादा एमएसएमई
कर्नाटक में 8.5 लाख से ज्यादा एमएसएमई हैं, जो 55 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं.
राज्य ने पिछले 5 वर्षों में लगभग 4 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है.
बेंगलुरु के पीन्या इंडस्ट्रीयल एरिया में 3,500 से अधिक एमएसएमई है.
इसी वजह से पीन्या को एशिया का सबसे बड़ा इंडस्ट्रीयल एरिया भी माना जाता है.
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कर्नाटक को कहा जाता है आईटी हब
कर्नाटक की राजधानी बैंगलोर को भारत की सिलिकॉन वैली भी कहा जाता है.
वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान प्रदेश का आईटी एक्सपोर्ट 58 बिलियन डॉलर था.
प्रदेश का आईटी सेक्टर 1.5 लाख से ज्यादा लोगों को डायरेक्ट और करीब 40 लाख को इनडायरेक्ट जॉब देता है.
प्रदेश में 4,000 से ज्यादा आईटी आईटी कंपनियां हैं, जिनमें माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम और ओरेकल जैसी टेक कंपनियां हैं, जो 4 लाख से ज्यादा लोगों को जॉब्स देती हैं.
साल 2022 में स्टेट इकोनॉमी में आईटी सेक्टर का 20 फीसदी से ज्यादा कंट्रीब्यूशन देखने को मिला था.