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एक भी सीट खाली नहीं रहनी चाहिए- SC में जजों की कमी पर CJI चंद्रचूड़ ने जताई चिंता

Not even a single seat should remain vacant – CJI Chandrachud expressed concern over the shortage of judges in SC
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Not even a single seat should remain vacant – CJI Chandrachud expressed concern over the shortage of judges in SC


नई दिल्लीः देश के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट में एक भी सीट खाली रह जाती है तो फिर कॉलेजियम का कोई मतलब नहीं रह जाता है. साथ ही सीजेआई चंद्रचूड़ ने शीर्ष अदालत के इन-हाउस थिंक टैंक सेंटर फॉर रिसर्च एंड प्लानिंग (सीआरपी) को भविष्य में होने वाली नियुक्तियों के लिए संभावितों उम्मीदवारों की लिस्ट तैयार करने की प्रक्रिया में शामिल करने का ऐलान भी किया


वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, CJI चंद्रचूड़ ने पिछले दिनों (11 अप्रैल) को शीर्ष अदालत परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, “मेरी कोशिशों में अहम कोशिश यह रही कि सुप्रीम कोर्ट में फुल स्ट्रेंथ एक असामान्य स्थिति न हो बल्कि यह नियमित तौर कायम रहे. अगर सुप्रीम कोर्ट में एक भी जगह खाली रह जाती है तो फिर कॉलेजियम का कोई औचित्य नहीं रह जाता है और भविष्य में भी मेरी यही कोशिश होगी.”

इस साल रिटायर होंगे 6 जज
मुख्य न्यायाधीश की यह टिप्पणी इस मायने में खास है क्योंकि इस साल सुप्रीम कोर्ट के छह जज रिटायर होने वाले हैं.


सीजीआई ने घोषणा करते हुए बताया कि सीआरपी को अब देश की शीर्ष अदालत में स्थायी सचिवालय (Permanent Secretariat) की मदद करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो कोर्ट में न्यायिक नियुक्तियों से जुड़े मामलों से संबंधित है, जिसमें सूचनाओं को एकत्र करना, रिकॉर्ड तैयार करना और फिर इन चीजों को कॉलेजियम के समक्ष रखना शामिल है. सीजेआई चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि सीआरपी को सुप्रीम कोर्ट के लिए भविष्य के जजों के रूप में चयन के लिए देशभर के 50 बड़े जजों की जानकारी एकत्र करने का निर्देश दिया गया है.

50 वरिष्ठ जजों का आंकड़ा रख रहा SC
उन्होंने कहा कि इस तरह की कोशिश पहले कभी नहीं की गई थी. इन कोशिशों की वजह से यह हुआ कि अब हमारे पास वरिष्ठता के आधार पर देश भर से 50 सीनियर जजों से जुड़ी जानकारी मौजूद हैं. अब हमारे पास उनकी ओर से दिए गए फैसलों की लिस्ट है. हमारे पास रिपोर्ट करने को लेकर उन फैसलों की संख्या है जो उनकी ओर से दिए गए. इन कोशिशों के पीछे असल मकसद यही है कि कॉलेजियम के काम में मदद करना है.