महंगाई का रियलटी चेक: अप्रैल के महीने में कितना सस्ता या महंगा हुआ नून, तेल, आटा, दाल और चावल?

बीते पांच दिनों में सरकार ने महंगाई के दोनों तरह के यानी खुदरा और थोक महंगाई के आंकड़ों का ऐलान कर दिया है. सरकार ताल ठोक रही है कि देखिये हमने देश से जो वायदा किया था महंगाई कम कर देंगे वो करके दिखा दी. सरकारी आंकड़ों में खुदरा महंगाई 18 महीने के निचले स्तर पर है और थोक महंगाई 3 तीन साल के लोअर लेवल पर आ गई है और जिस महंगाई का जिक्र विपक्ष एकजुट होकर कर रहा है आखिर वो कहां है?
सवाल बड़ा है, क्योंकि कोर महंगाई आरबीआई की टॉलरेंस लेवल के अपर बैंड यानी 6 फीसदी से नीचे है और अप्रैल में ये आंकड़ा सिमटकर 5 फीसदी से नीचे आ चुका है. तो आज कंज्यूमर अफेयर डिपार्टमेंट के उन आंकड़ों को परखने की जरुरत है और समझने की जरुरत है कि क्या वाकई मोदी सरकार ने महंगाई पर अब तक की सबसे बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक कर दी है? क्या देश की मोदी सरकार महंगाई के मोर्चे पर पास हो गई है? आइए समझने की कोशिश करते हैं.
हमने यहां पर रोजमर्रा के सामान के दो दिनों की औसत कीमत को लिया है एक अप्रैल और 30 अप्रैल. दोनों दिनों की औसत कीमतों के आधार पर परखने की कोशिश करेंगे क्या वाकई महंगाई कम हुई है? ये आकलन आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी का भी एसिड टेस्ट है. जिस अंदाज से उसने देश की महंगाई को कम करने के लिए मई 2022 से फरवरी 2023 तक ढाई फीसदी तक ब्याज दरों को बढ़ाकर लोगों की ईएमआई में इजाफा कर दिया, ऐसा आक्रामक अंदाज आरबीआई का पहले कभी देखने को नहीं मिला था.