क्या है सिकल सेल एनीमिया बीमारी, जिसके बारे में स्टूडेंट्स करेंगे पढ़ाई? इस डॉक्टर की 20 साल की मेहनत रंग लाई

Sickle Cell Anemia: महाराष्ट्र के आदिवासी बहुत गढ़चिरौली जिले में काम करने वाले डॉ रमेश कात्रे ने दो दशक से ज्यादा वक्त से 15 राज्यों के अधिकारियों को 1000 से ज्यादा चिट्ठियां और ईमेल लिखें. इन चिट्ठियों को लिखने का मकसद ये था कि स्कूल और कॉलेज के करिकुलम में Sickle Cell Anemia नामक बीमारी को शामिल किया जा सके, ताकि स्टूडेंट्स के बीच इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके. डॉ रमेश को 20 सालों तक की गई मेहनत का फल भी मिला है.
दरअसल, डॉ रमेश की लिखी चिट्ठियों का फल ऐसे मिला कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) से कहा कि वे देश के सभी हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन से गुजारिश करें कि इस बीमारी को लेकर एक चैप्टर सिलेबस में जोड़ा जाए. 28 मार्च को यूजीसी के सचिव मनीष जोशी ने सभी यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों को लिखा कि वे सिकल सेल एनीमिया, इसकी वजह, इलाज का तरीका, बीमारी का पैटर्न, टेस्टिंग का तरीका और बचने के उपाय को एक चैप्टर के तौर पर शामिल करें.