जीवन की अंतिम यात्रा का बिजनेस सुखांत

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मुंबई निवासी युवा संजय रामगुड़े ने अनोखा बिजनेस शुरू किया। इंसान की अंतिम यात्रा का। नाम दिया सुखांत फ्यूरनर । अंतिम संस्कार से जुड़ी सभी तरह की व्यवस्था सुखांत करता है और वो भी मृतक के धर्म के अनुसार, उसके रीति रिवाज के अनुसार।
उनका मानना है कि युवा पीढ़ी चाहती है कि उनके अपनों का अंतिम संस्कार पूरे विधि विधान से हो। लेकिन उन्हें अंतिम संस्कार से जुड़ी क्रियाओं के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है और न ही ये जानकारी की क्या सामान लाना है, कहां से मिलेगा।
संजय ने बताया कि करीब 30 साल पहले उन्होंने बनारस के मर्णिका घाट पर देखा जहां लोगों का अपनों के निधन पर रो रोकर बुरा हाल होता है और पंडित, नाई इत्यादि उनके अंतिम संस्कार करवाने की एवज में मोटी रकम वसूलते हैं। ऐसा हिंदू धर्म में नहीं सभी धर्मों में होता है।
कुछ ऐसी ही सोच के साथ कि मरने वाले की अंतिम यात्रा सुखद हो। उसके परिवार वालों पर भी ज्यादा बोझ न आए और सभी रस्मों रिवाज विधि विधान पूर्वक हो जाएं इसलिए सुखांत की शुरूआत की। शुरू शुरू में तो लोगों ने दूसरी निगाह से देखा। तरह तरह की बातें बनाई। परंतु कोरोना काल में जब उनकी टीम ने 200 से अधिक लोगों के अंतिम संस्कार किए तो वे वारियर्स बन गए।
संजय ने बताया कि मृतक के लिए अर्थी सजाने से लेकरअ अंतिम संस्कार की सभी तैयारी, कंधा देने के लिए चार लोग,सिर मुंडवाने के लिए नाई, धर्म जाति के अनुसार पंडित, मौलवी, पादरी और अस्थि विसर्जन तक की व्यवस्था उनकी संस्था कर देती है।
संजय के अनुसार मुंबई जैसे बड़े शहरों में ऐसी कंपनी की जरूरत थी। यहां किसी को टाइम भी नहीं है। उन्होंने बताया कि कंपनी शुरू करने से पहले उन्होंने सभी धर्मों के लोगों के अंतिम संस्कार में गया, उनकी विधियों को जाना। फिर पंडित, पादरी, मौलवी से संपर्क किया। अब कंपनी में 19 लोग काम कर रहे हैं। जिसका जो धर्म उसकी के अनुसार अंतिम यात्रा का प्रबंध।
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