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आईवीएफ को सरकार आयुष्मान भारत योजना में शामिल करे: डा. रेणु चुघ

कांफ्रेंस में देशभर के कई राज्यों से आए गायनी व आईवीएफ एक्सपर्ट ने अपने विचार किए सांझा
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Newz World Hindi's, Sirsa।  हरियाणा चैप्टर ऑफ (आईएसएआर) की ओर से सिरसा में आयोजित दो दिवसीय कांफ्रेंस के दूसरे दिन हिसार रोड स्थित निशुराज रिजोर्ट में देशभर के कई राज्यों से गायनी व आईवीएफ स्पैशलिस्ट चिकित्सक पहुंचे। कांफें्रस के दौरान भिवानी से पहुंची आईएसएआर की प्रधान डा. रेणु चुघ ने बताया कि वर्तमान समय में निसंतानता तेजी से बढ़ रही है, जिसका एकमात्र विकल्प आईवीएफ है। हालांकि आईवीएफ काफी महंगा है और अमीर वर्ग के लिए इसका खर्च सामान्य है, लेकिन एक गरीब आदमी इतना खर्च वहन नहीं कर सकता। इसलिए उनकी सरकार से मांग है कि आईवीएफ को आयुष्मान भारत योजना में शामिल किया जाए, ताकि सभी वर्ग इसका बखूबी लाभ उठा सकें।

 

हर महिला के लिए मां बनने का अहसास बेहद खास होता है

पुणे से आए चिकित्सक डा. आशीष काले ने बताया कि हर महिला के लिए मां बनने का अहसास बेहद खास होता है। कहते हैं कि एक बच्चे के साथ मां का भी नया जन्म होता है, लेकिन किसी वजह से अगर कोई औरत मां नहीं बन पाती, तो यह किसी कमी की ओर संकेत करता है। यदि शादी के 5 साल तक तमाम कोशिशों के बाद भी कपल्स को गर्भधारण करने में दिक्कत आती है, तो उन्‍हें आईवीएफ  की सलाह दी जाती है। अगर फैलोपियन ट्यूब्स पूरी तरह से ब्लॉक हैं, तो आईवीएफ  ही एक ऐसा विकल्‍प है, जिसकी मदद से गर्भधारण किया जा सकता है। इसके अलावा मेल पार्टनर में शुक्राणुओं की कमी, महिला में पीसीओडी की वजह से ओव्यूलेयशन में समस्या, एंडोमेट्रियोसिस या अन्य फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के फेल हो जाने पर डॉक्टर आईवीएफ की सलाह देते हैं। उन्होंने बताया कि कई मामलों में सारी रिपोटर्स ठीक आती हैं, लेकिन इलाज करने के बाद भी बेबी कंसीव नहीं हो पाता, तो आईवीएफ  ही एकमात्र सहारा होता है।

 

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निसंतानता का बढऩा बेहद चिंताजनक है

संस्था की चेयरपर्सन डा. मनीषा मेहता ने कहा कि निसंतानता का बढऩा बेहद चिंताजनक है। महिलाओं को अपने स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। तनाव मुक्त होने के लिए महिलाओं में स्वच्छ मानसिकता का होना भी जरूरी है। उन्होंने बताया कि संस्था से जुड़े चिकित्सकों का प्रयास है कि आईवीएफ को और अधिक कारगर बनाया जाए। उन्होंने निसंतानता को कम करने के लिए जनहित में कुछ महत्वपूर्ण टिप्स जैसे तनाव को कैसे दूर करें, स्माइल मेडिटेशन, किसी प्रकार की समस्या होने पर तुरंत चिकित्सक को दिखाने का आह्वान किया।

हमारा वातावरण हरा-भरा होगा तो हमारा स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा

संस्था की सचिव डा. गार्गी मुंजाल ने कहा कि प्रकृति ने हमें बहुत कुछ दिया है, लेकिन बदले में हमने प्रकृति के लिए कुछ नहीं किया, जिसका परिणाम अनेक समस्याओं के रूप में हमारे सामने है। निसंतानता भी उसमें से एक है। अगर हमारा वातावरण हरा-भरा होगा तो हमारा स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा और बिमारियों से हम बचे रहेंगे। उन्होंने आह्वान किया कि अधिक से अधिक सं या में पौधे लगाए जाएं, ताकि वातावरण में हो रहे परिवर्तन को रोका जा सके।

कांफ्रेंस में मेरठ से डा. अनुज शर्मा, दिल्ली से डा. शिवानी सचदेव, डा. ज्योति मलिक, यमुनानगर से डा. जतिंद्र चड्ढा, डा. मनीष बंसल सिविल सर्जन सिरसा ने भी निसंतानता को लेकर अपने विचार सांझे किए। डा. आरके मेहता ने बाहर से आए हुए वरिष्ठ चिकित्सकों को स्मृति चिन्ह देकर स मानित किया और उनका यहां पहुंचने पर आभार व्यक्त किया। बता दें कि कांफ्रेंस के पहले दिन सरकुलर रोड स्थित एपेक्स अस्पताल में आईयूआई का लाइव डेमो दिखाया गया। इस दौरान दर्जनभर चिकित्सक उपस्थित रहे।

आईयूआई के बारे में डा. रेणु चुघ, डा. राखी मल्होत्रा व डा. वकील जगवीर सिंह ने लाइव रहकर विस्तार से जानकारी दी। इसके बाद दूसरे सत्र में दोपहर 2 से 5 बजे तक हिस्ट्रोस्कॉपी का लाइव डेमो दिखाया गया। जिसमें सोनीपत से डा. अनुपमा सेठी, डा. जतिंद्र चड्ढा व एपेक्स अस्पताल के संचालक डा. आरके मेहता ने लाइव रहकर आए हुए डेलीगेट्स को जानकारी दी।

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