करनाल में बाढ़ का कहर 8वें दिन भी जारी

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करनाल में 8वें दिन भी बाढ़ का कहर जारी है। कुंजपुरा के 10 व घरौंड़ा के 6 गांव अभी भी बाढ़ के पानी के चपेट में है। वहीं दूसरी और लालूपुरा में अभी तक भी यमुना में कटाव जारी है।विधायक हरविंद्र कल्याण प्रशासनिक अमले के साथ 48 घंटे से यमुना पर डटे हुए हैं।
रात के अंधेरे में भी कटाव को बंद करने के लिए कार्य जारी रहा। जिसके लिए बिजली विभाग की तरफ से लाइट के प्रबंध किए गए, ताकि अंधेरे की वजह से कार्य में कोई बाधा उत्पन्न ना हो। विधायक का दावा है कि जल्द ही कटाव को नियंत्रित कर लिया जाएगा।
कीकर के पेड़ों को यमुना में डालने पर आपत्ति
शनिवार से कटाव शुरू हुआ तो प्रशासन ने कीकर यानी बबूल के पेड़ों को उखाड़कर कटाव को रोकने का प्रयास शुरू किया। लेकिन कटाव रुकने की अपेक्षा और भी ज्यादा बढ़ता चला गया। कीकर के पेड़ों को यमुना में डालने पर ग्रामीणों ने भी आपत्ति जताई।
ग्रामीणों की माने तो धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, यमुना को माता का दर्जा दिया गया है और हिंदू धर्म में गंगा की तरह की यमुना की भी पूजा होती है। बबूल के पेड़ में कांटे होते हैं, ऐसे में कीकर पेड़ यमुना में डालना अशुभ माना जाता है। विधायक कल्याण ने ग्रामीणों की सभी बातों को ध्यान से सुना और कीकर की जगह किसी और पेड़ को यमुना में डालने के निर्देश जारी कर दिए गए। जिससे ग्रामीण भी खुश नजर आए।
जारी है कटाव, मौके पर बड़ी मशीनों और लेबर का सहारा
36 घंटे से यमुना में कटाव पर काबू पाने का प्रयास जारी है। दो पोकलेन मशीनों, तीन जेसीबी, ट्रैक्टर-ट्रॉलियां व सैकड़ों की संख्या में लेबर यमुना में डटी हुई है। शनिवार को लालूपुरा में बड़ोली पूल से करीब 130 डिग्री के एंगल पर यमुना का पानी घुम गया। जिसने करीब 70 एकड़ जमीन में खड़ी फसल को ही अपनी चपेट में ले लिया।
यमुना में लगाए गए स्टड को भी पछाड़ते हुए पानी करीब दस एकड़ तक के एरिया में कटाव करता चला गया। पीर की मजार के करीब 300 मीटर पीछे और बांध से करीब दो मीटर की दूरी पर घुमावदार पानी ने जबरदस्त तरीके से कटाव शुरू कर दिया।
सिंचाई विभाग नहीं जागा, आज स्थिति खराब
उधर, ग्रामीण सिंचाई विभाग के ऊपर लापरवाही के आरोप लगा रहे हैं। ग्रामीण नरेश कुमार, मांगेराम व अन्य ने बताया कि यमुना के स्टड अच्छे तरीके से नहीं लगाए और ना ही इनकी मरम्मत की गई। मरम्मत के नाम पर हमेशा ही खानापूर्ति होती आई है और यह खानापूर्ति आज ना सिर्फ ग्रामीणों पर बल्कि शासन और प्रशासन पर भी भारी पड़ने वाली है। आज लाखों रुपए खर्च करके यहां पर मशीने व लेबर लगाई हुई है यदि सिंचाई विभाग के अधिकारी पहले ही अपना काम ढंग से कर लेते तो आज यह नौबत नहीं आती।